ऐतिहासिक काल (Historical Period)
जैसा कि आपको पता है कि इतिहास का खोज हेरोडोटस ने किया था । इतिहास को जब हम अध्ययन करते हैं तो इसे तीन भागों में बांट कर अध्ययन किया जाता है प्रागैतिहासिक , आध इतिहास और ऐतिहासिक काल।
ऐतिहासिक काल की परिभाषा -
"वह इतिहास जहां लिखित के स्त्रोत उपलब्ध है और उन्हें पढ़ा भी जा सकता है " इसके अंतर्गत वैदिक काल से लेकर अभी तक के इतिहास को पढ़ा जाता है।
ऊपर दिखाई दे रहे चित्र" ऐतिहासिक काल की संरचना "के अनुसार समझिए की ऐतिहासिक काल को किस प्रकार से अध्ययन किया जाता है। ऐतिहासिक काल को अध्ययन करने के लिए तीन मुख्य प्रकार में बांटा गया है जिससे हम ऐतिहासिक काल को अध्ययन करते हैं जो किस प्रकार है- पुरातात्विक, विदेश यात्रा और साहित्य इन तीनों प्रकार के स्त्रोत हम ऐतिहासिक काल का अध्ययन करते हैं।
पुरातात्विक -
इस प्रकार में इतिहास के ऐतिहासिक काल का अध्ययन करने के लिए दो मुख्य स्त्रोत है जो कुछ इस प्रकार है-
(1) . सिक्का
(2). अभिलेख
(1) . सिक्का
सिक्के का अध्ययन करना न्यूमेसमेटिकस कहलाता है
मौर्य काल- मौर्य काल के समय जो सिक्का बनता था वह आहत या पंचमार्ग / पर्ण कहां जाते थे। आहत सिक्कों पर लिखावट नहीं होती थी केवल चित्र बने होते थे। और जो पर्ण पाया था वह चांदी का सिक्का था जो मौर्य काल में बहुत ज्यादा प्रचलित था।
यूनानी - यूनानी शासकों नेने सबसे पहले आकर सोने के सिक्के लाएं और प्रचलित किया।
कुषाण शासक -सर्वप्रथम कुषाण शासक ने सर्वप्रथम सोने के सिक्के को प्रचलित किया था।
गुप्त काल- गुप्त काल में अशुद्ध सोने का सिक्का पाया जाता था और यह सबसे अधिक पाया जाता था । इस समय स्कंद गुप्त शासक थे।
-मयूर शैली का सिक्का भी गुप्त काल के समुद्रगुप्त के समय में प्रचलित था और इस सिक्के का उपयोग इस समय में सर्वाधिक था।
-कौड़ी का प्रयोग भी गुप्त काल के शासन में होता था
( Note-कौड़ी का प्रयोग उस समय पर होता था जिससे संबंधित एक कहावत है जो आज भी प्रचलित है " तुम्हें एक कौड़ी भी नहीं दिया जाएगा" यह वही कौड़ी को सिक्के के रूप में उपयोग किया जाता था उस समय पर।)
चमड़े का सिक्का- चमड़े का सिक्का हुमायूं के शासनकाल में शिहाबुद्दीन के प्रारंभ में प्रचलित हुआ था।
शेरशाह सूरी - शेरशाह सूरी ने सर्वप्रथम रुपए का सिक्का को प्रचलित किया था।
-शेरशाह सूरी नहीं सर्वप्रथम दाम को प्रचलित किया था!
-शेरशाह सूरी नहीं सर्वप्रथम सोने की अशर्फियां को प्रचलित किया था।
( Note -शेरशाह सूरी ने सिखों को 3 वर्ग में बांट दिया था जिसमें गरीब अमीर और मध्यम वर्ग के थे और सिक्के का इस्तेमाल करते थे)
2. अभिलेख -
अभिलेखों का अध्ययन एपीग्राफी कहलाता है। पत्थरों को खुद खुद कर लिखना अभिलेख कहलाता है। इसे कुछ प्रकार इस प्रकार से हैं -
शिलालेख - छोटे पत्थरों को खोदकर कुछ कुछ लिखना शिलालेख कहलाता है।
स्तंभ लेख- पत्थर को स्तंभ की तरह लिखकर खुद कर लिखना स्तंभ लेख कहा जाता है ।
गुफा का लेख (cave epigraphy)- गुफा के अंदर में कुछ-कुछ खुद कर लिखना केव एपीग्राफी कहलाता है।
विश्व में सर्वप्रथम अभिलेक लिखने का श्रेय ईरान के शासक डेरियस को जाते हैं क्योंकि सर्वप्रथम डेरियस ने ही अभी लेख लिखना प्रारंभ किया था।
पहला अभिलेख बोगजगोइ से मिला है जो ईरान या एशिया के माइनर मैं है।
(1.) हाथी गुफा अभिलेख (उड़ीसा)- इसे कलिंग राजा खारवेल ने लिखा था जिसमें कलिंग युद्ध का चर्चा लिखा है। युद्ध के समय में गंगवंश के राजा नंद राज थे।
(2.)एहोर अभिलेख (राजस्थान)-पुलकेशिन -।। ने हर्षवर्धन के विजय पर चर्चा की है।
(3.) जूनागढ़ अभिलेख (गुजरात)- किस अभिलेख में रुद्रदामन ने सुदर्शन झील का वर्णन किया है । यह झील चंद्रगुप्त मौर्य ने बनाया था।
(4.) प्रयाग अभिलेख ( इलाहाबाद )-किस में समुद्रगुप्त ने अपने विजय की चर्चा की है।
स्तंभ अभिलेख (Pillar edict)
हेलियोडॉटस गरुड़ध्वज अभिलेख (M.P.) -इसमें भाग भद्र ने भागवत वंश की चर्चा की है।
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