छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक विभाजन
भू - प्राकृतिक रूप से छत्तीसगढ़ को चार प्रदेश में बांटा गया है जो इस प्रकार है-
(1). पूर्वी बघेलखंड का पठार
(2). जसपुर शामली पाठ प्रदेश
(3). महानदी बेसिन
भू - प्राकृतिक भौतिक स्वरूप के आधार पर भी छत्तीसगढ़ को बांटा गया है इस प्रकार से-
(1). मैदानी प्रदेश
(2). पहाड़ी प्रदेश
(3). पठार एवं पाठ प्रदेश
(1). पूर्वी बघेलखंड का पठार
• यह पठार को गंगा नदी और महा नदी के बीच जला विभाजन का दक्षिण भाग भी कहा जाता है।
• इसमें आर्कियन शैल समूह और पहाड़ी क्षेत्र में प्रमुख रूप से गोंडवाना शैल समूह की प्रधानता है।
• इसमें लाल पीली मिट्टी मुख्य रूप से पाई जाती ।
फसल -
औसत वर्षा-
125 सेंटीमीटर.
औसत ऊंचाई -
Note - कर्क रेखा किस के मध्य से गुजरती है।
पूर्वी बघेलखंड की पर्वत चोटियां -
1. चांद भखार देवगढ़ की पहाड़ी
2. कैमूर पर्वत शृंखला ।
3. रामगढ़ की पहाड़ी ।
कौन - कौन सा जिला समाहित है -
Note -
(2). जसपुर- शामरी पाठ प्रदेश
जिला -
पाट प्रदेश -
आइए जानते हैं कि जसपुर शामरी पाठ प्रदेश में कौन-कौन से पाठ प्रदेश है-
पंडरा पाट , उसके ऊपर लहसुन पाट , कुसमी पाट , सामरी पाट, जमीर पाट , मैनपाट , जांगर पाट, जशपुर पाट परदेश ।
पूर्व से पश्चिम क्रम में पाट प्रदेश -
जसपुर >सामरी पाट > जसपुर पाट > जांगर पाट , >मैनपाट
उत्तर से दक्षिण क्रम में पाट प्रदेश
सामरी पाट >,जमीर पाट,>जांगर पाट ,> जसपुर पाट> मैनपाट
• संरचना की दृष्टि से यह छोटा नागपुर के पठार का भाग है यह छोटा नागपुर झारखंड में स्थित है।
• शैल समूह -
( Note - ट्रैक किसे कहा जाता है?
ज्वालामुखी का जब उद्गार होता है तो परत दर परत जमा होते रहते हैं इसे ही कहते हैं ट्रैक । इसी तरह से ही दक्कन का ट्रैक का निर्माण हुआ है। )
मिट्टी - लेटराइट मिट्टी और यह पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाते हैं।
बागानी फसल - चाय ,आलू, लीची , टमाटर ।
अन्य -अभ्रक , यूरेनियम , कोयला ।
मैनपाट -
1965 में तिब्बत शरणार्थी को इसमें बस आ गया था उस समय भारत चाइना युद्ध हो रहा था यह दरअसल मुख्य रूप से चाइना और तिब्बत के रूप में हुआ था जो बाद में भारत और चाइना मैं स्थापित हो गया।
जसपुर पाट प्रदेश-
यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पठार है जिसकी ऊंचाई 11 से 23 मीटर है इसमें चाय बागान है और इसे ईद मेनी घाटी भी कहते हैं।
√ खड़िया पहाड़ी - बॉक्साइट का मुख्य स्त्रोत माना जाता है और यह पाण्ड्रा पाट प्रदेश के अंतर्गत ही आता है। और इसे छत्तीसगढ़ का बगीचा भी कहा जाता है।
शामरी पाट प्रदेश -
• यह बलरामपुर जिले के अधिकतर भाग में फैला हुआ है गोरलाटा इसी में आता है और यह छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी है 1225 मि. ।
• इसका थोड़ा सा हिस्सा लहसुन पाट में भी आता है ।
• सामरी पाठ प्रदेश के पश्चिम भाग में लहसुन पाट और पूर्वी भाग में जमीर पाट प्रदेश स्थित है ।
- मैनी नदी जसपुर की पश्चिमी सीमा पर छोटी सी घाटी का निर्माण करती है जिसे "काकिया क्षेत्र " भी कहते हैं।
जसपुर पाट- मखेल, भासेंगा, पत्यालगांव , करिल , डोगर।
(3) महानदी बेसिन -
महानदी बेसिन छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी भौतिक प्रदेश है। भौतिक रूप से महानदी बेसिन 3 संभाग को छूती (टच) करती है -
(1.)रायपुर(2.) बिलासपुर
(3.) दुर्ग
आकर -
पंखाकार
ढाल -
छत्तीसगढ़ के महानदी बेसिन का ढाल पूर्व दिशा की ओर स्थित है -
2.सीमांत उच्च भूमि
(1).छत्तीसगढ़ का मैदान
इसी कारण से इस मैदान में पारित रीमलैंड को धान का कटोरा आकृति के समान का आगे।
शैल समूह - कडप्पा शैल समूह ( जहां कडप्पा शैल समूह पाया जाएगा वहां चूना पत्थर भी होगा। )
मिट्टी - लाल पीली मिट्टी पाई जाएगी ।
खनिज - चूना पत्थर और डोलोमाइट पाए जाएगा।( जहां चूना पत्थर पाए जाएगा वहां डोलोमाइट भी पाए जाएगा। )
कोरबा रायगढ़ क्षेत्र - यह लोवर गोंडवाना शैल समूह क्षेत्र है। और यहां कोयला पाया जाता है । ( जहां गोडवाला शहर समूह होगा वहां कोयला भी पाए जाएगा )
औसत वर्षा -
इसमें 100 से 150 सेंटीमीटर की औसत वर्षा होती है।वृद्धि छाया प्रदेश-
112 सेंटीमीटर ( कोरबा वाला क्षेत्र में।)(2). सीमांत उच्च भूमि-
प्रमुख स्थलाकृतियां चौटिया -1. पेंड्रा लोरमी का पठार - पलमागढ छोटी ( 1080 मी.)
लाफ़ागढ़ 1048 मीटर2. बिलासपुर रायगढ़ का मैदान-
दलहा पहाड़ 700 से 750 मीटर तक ऊंची है और यह जांजगीर-चांपा में स्थित है।3. धमतरी - महासमुंद उच्च भूमि -
सोंनबरा पहाड़ 946 मीटर ऊंची और धारीडोंगर 899 मीटर ऊंची।अन्य -
महासमुंद - दिन ही पहाड़ी , शिशुपाल , नारियल पानी , बड़े पहाड़ डौंगर ,(1006 भी.)
धमतरी - सिहावा पर्वत 586 मीटर ऊंची इसका प्राचीन नाम सूक्ति माता।
4. दुर्ग सीमांत उच्च भूमि -
दिल्लही- राजना की पहाड़ी 700 मी. डोंगरगढ़ की पहाड़ी 704 मीटर ऊंची।
मैकल श्रेणी - बदरगढ़ 1176मी. ( सरकार की नजर में यहां सबसे ऊंची पहाड़िया छत्तीसगढ़ की लेकिन इस पर अभी डिबेट चली थी कि ऐसा कोई पहाड़ नहीं है) , कांदिवली पहाड़ी यह कवर्धा जिले में स्थित है।
- मैकल श्रेणी सतपुड़ा पर्वत श्रेणी का भाग है ( इसमें अमरकंटक 1057 मीटर ऊंची है।चांदी डूंगर , चितवा डूंगर , पावा बरम ( राजनांदगांव में स्थित )
अन्य - झाला पहाड़ 1136 मीटर , बहामनगढ़ की चोटी 1127 मि. , देवसानी , लिलवानी ।
छाल पहाड़ - बलोदा बाजार में स्थित ( प्रज्ञा गिरी पहाड़ राजनंदगांव यह भी मैकल श्रेणी के अंतर्गत आता है )
भत्रीगढ़ - गरियाबंद में स्थित।
4. दंडकारण्य का पठार
यह प्रदेश गोदावरी बेसिन का भाग है।
ढाल -
दंडकारण्य का पठार का ढाल दक्षिण की ओर है।
उपविभाग -
1. कोटरी बेसिन
2. अबुजमाढ़ का पठार
3. बस्तर का पठार
4. बस्तर का मैदान
शैल समूह -
इसमें आर्कियन शैल समूह पाए जाते हैं।
नीस ग्रेनाइट , वाडनाड
खनिज - लोहा, टीन, तांबा ,अभ्रक, बॉक्साइट
मिट्टी -
लाल बल्वी मिट्टी मुख्य रूप से पाई जाती है , और इसमें लाल दोमट मिट्टी भी पाई जाती है जिसके कारण इसमें मोटा अनाज की उत्पाद अधिक होती है।
• विश्व की सर्वोत्तम किस्म की सागोन की लकड़ी यहां पाई जाती है , जिसे टीक वुड कहते हैं यह कुर्सेला घाटी में पाया जाता है।
• बस्तर को साल वनों का द्वीप भी कहा जाता है । ( यह प्रदेश का 52 दशमलव 47 वन से गिरा हुआ भाग है यह छत्तीसगढ़ का सबसे ज्यादा इको फ्रेंडली प्रदेश है)
सर्वोत्तम वर्षा - छत्तीसगढ़ के क्षेत्र के "अबूझमाड़ क्षेत्र " में सबसे ज्यादा वर्षा होती है इसे छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी भी कहा जाता है।
स्थल आकृतियां -
केशकाल घाटी , टेलिंग घाटी ( कुंडा गांव )
रावघाट की पहाड़ी - यह कानपुर में स्थित है यह क्षेत्र हेलो अयस्क के लिए प्रसिद्ध है।
बस्तर का पठार
(1.) उत्तर पूर्व -
यह गुंबदाकार आकार है ( अर्थात इसका आकार ऊपर से मस्जिद के ऊपर में जो मटके के समान जो ऊपर में बने रहते हैं उसके समान है) इसमें दरभा घाटी ( किसका प्राचीन नाम तुलसी घाटी ) ,मतला घाटी , बस्तावाद घाटी ( इस का प्राचीन नाम टांगरीडोंगर है।
2. दक्षिण -
इंद्रावती नदी -
इंद्रावती नदी अध्यारोपित नदी का उदाहरण है !
बस्तर का मैदान -
इस मैदान में टिन मिलता है , और यह कोटा तहसील स्थित है।
बीजापुर के दक्षिण में ( कडप्पा शैल समूह ) - चूने का पत्थर , कोरडम - यहां ग्रेनाइट पाया जाता है।
पश्चिमी सीमा पर - उखरु की पहाड़ी।
अन्य -
आरीडोंगरी ( भानूप्रतापपुर तहसील - कांकेर , गढ़िया पहाड़ - कांकेर
अलवका पहाड़ी - बीजापुर , गोल्लापल्ली पठार - कोटा तहसील