(2.) आध इतिहास (Protohistory)-
बात करें आज इतिहास की तो यह प्रागैतिहासिक काल या प्राक इतिहास और ऐतिहासिक के मध्य के समय का काल था खेती का विकास हो चुका था और सांस्कृतिक विकास हो रहा था ।
आपको हमने यहां पर बताया है कि जो इतिहास के जनक हैं उनका नाम है हैरोडोटस हमने आपको ट्रिक भी बताया है याद करने का H से history और H से ही Herodotus इस प्रकार आप याद कीजिए। लेकिन यहां पर हेरोडोटस कोई इतिहास का जनक क्यों कहा गया है क्योंकि हेरोडोटस ने इतिहास की सबसे बड़ी शाखा ऐतिहासिक को बहुत ही ज्यादा गहराई से अध्ययन करके बहुत ज्यादा कड़ी परिश्रम करके हम सब को बताया है।
बात करें यहां पर की आध इतिहास के जनक कौन है? तो उत्तर होगा " जॉन मार्शल"।
•अब यहां पर सिंधु सभ्यता की सबसे पहले जानकारी देने वाले कौन हैं उनका नाम है चार्ल्स मैसेंजर
• सिंधु सभ्यता के सबसे पहले सर्वेक्षण करने वाले कौन हैं उनका नाम है कनिंघम
•सिंधु सभ्यता का नाम रखने वाले जॉन मार्शल।
•सिंधु सभ्यता की सबसे पहले खुदाई दयाराम साहनी है ।
यहीं से शुरू होती है सिंधु सभ्यता ।
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1.सिंधु सभ्यता (Indus valley civilization)
बात करें सिंधु घाटी सभ्यता की तो यह आध इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक में से एक है तो चलिए जानते हैं सिंधु सभ्यता के बारे में। जब जॉन मार्शल को कुछ दिखता तो जल्दी ही दयाराम साहनी को उस जगह पर खुदाई करने के लिए कहते ।
सिंधु सभ्यता नाम क्यों पड़ा?
बात करें उस समय की जब सिंधु सभ्यता का नाम सिंधु सभ्यता क्यों पड़ा तो उस प्राचीन समय में जब लोग खेती के लिए जिस भी नदी के सामने वह बसे अस्थाई रूप में या स्थाई रूप में तो वह नदी अंतिम में जाकर एक ही नदी में मिलती थी जिसका नाम सिंधु नदी थी । इसीलिए इसीलिए ही इस सभ्यता को सिंधु सभ्यता कहा गया।
सिंधु सभ्यता का क्षेत्रफल?
सिंधु सभ्यता के लोग करीब करीब 200 शहर बसा चुके थे उस समय पर और यह जो सभ्यता थी वह शहरी सभ्यता थी जिसमें बहुत कुछ विकास हो चुका था और इसकी क्षेत्रफल की बात करें तो करीब 13 लाख स्क्वायर फीट थी।
(*भारत का वर्तमान में क्षेत्रफल 32 लाख स्क्वायर फीट लगभग है।)
सिंधु घाटी का आकार
सिंधु सभ्यता का आकार लगभग त्रिभुजाकार था पूर्ण रूप से त्रिभुजाकार नहीं था लगभग त्रिभुजाकार था बात बात करें कहां से कहां तक सिंधु सभ्यता थी तो भारत के ऊपर में यह कश्मीर पश्चिम में पाकिस्तान उत्तर में लास्ट मध्य प्रदेश और और दक्षिण में महाराष्ट्र तक फैली हुई है।
आप चित्र में देख सकते हैं कुछ इस प्रकार।
सिंधू सभ्यता के चारों क्षेत्र के अंत में पाए जाने वाले स्थान के नाम
बात करे सिंधु सभ्यता चारो अंतिम छोर की तो सबसे ऊपर में स्थान का नाम माण्डा है , पूर्व के स्थान को आलमगीरपुर , दक्षिण के स्थान को दयमाबाद, और पश्चिमी के स्थान को सुत्कागेंडोर कहा जाता है।
और इन स्थान के सबसे समीप नदी के नाम
Upsc में बहुत बार यह Questions पूछ देता है की सिंधू सभ्यता अंतिम क्षेत्र के स्थान के सबसे समीप के के नदियों के नाम क्या है तो वे इस प्रकार है -
सिंधू सभ्यता के त्रिभुज आकर के ऊपरी भाग के माण्डा स्थान के समीप नदी का नाम रावी नदी है , पूर्व के स्थान आलमगीरपुर के समीप नदी का नाम हिण्डा नदी है, दक्षिण के स्थान को दयमाबाद और उसके समीपस्त नदी का नाम प्रवाह नदी है , और पश्चिम के स्थान को सुत्कागेंडोर और उसके नदी का नाम डास नदी कहा जाता है।
हड़पा सभ्यता
हम सिंधु सभ्यता की अध्ययन करते है तो प्रश्न यह उठता है की सबसे पहले सिंधू सभ्यता के किस स्थान पर सबसे पहले खुदाई की गई । तो सिंधू सभ्यता में सबसे पहले" हड़प्पा नमक" स्थान में 1921 ईस्वी में किया गया था । बात करे की देश में तो पाकिस्तान में । सिंधु सभ्यता के सबसे पहले इस स्थान में खुदाई करने के कारण इस स्थान को हड़प्पा सभ्यता भी कहा गया। इसीलिए ही इसे हडप्पा सभ्यता कहा जाता है।
हड़प्पा सभ्यता में निम्न प्रकार की खोज किया गया -
•कुम्हार के चार्ट का खोज
हड़प्पा के सभ्यता में कुम्हार का चार्ट पाया गया है जहा से घड़ा बनाया
जाता है आप चित्र में देख पा रहे होंगे ।
1.अन्नागार की खोज - बात करे हड़प्पा कल के तो इस स्थान में बहुत बड़ा अन्नागार था जिसकी पुष्टि geologist ने किया है । जिसका उपयोग उस समय के लोग अनाज को एकत्रित संग्रह करने के लिए किया जाता था जो बहुत बड़े पैमाने में बहुत बड़ा था।
2. श्रमिक आवास- हड़प्पा सभ्यता में एक बहुत बड़ा श्रमिक आवास भी पाया गया है यह आवास यहां की मजदूर अपनी मजदूरी करने के बाद यहां आराम करने के लिए बनाया था जहां वे मजदूर आराम करते थे।
3. मातृ देवी मूर्ति- हड़प्पा सभ्यता में एक मूर्ति पाई गई है जिसे मातृ देवी का मूर्ति कहा गया है।
4. ओखली- हड़प्पा सभ्यता में एक ओखली पाए गया हैं , जिसका उपयोग घर के छोटे सामान को रखने के लिए किया जाता था , ये एक मटके के समान होती थी ।
5. ताबूत - हड़प्पा सभ्यता में एक ताबूत पाया गया है हां यह वही ताबूत है जिसमें मुर्दे व्यक्ति को या जब कोई व्यक्ति मर जाता है तब रखा जाता है।
6. Rh-37 कबरिस्तान - हड़प्पा सभ्यता में एक कब्रिस्तान पाया गया है जिसका नाम RH-37 कहा गया हैं। हड़प्पा सभ्यता में एक स्थान ऐसा पाया गया जिसमें बहुत सारे लाश पाई गई जिसे ही Rh - 7 कब्रिस्तान कहां गया ।
•Rh-37 कबरिस्तान को Rh-37 कबरिस्तान क्यों कहा जाता है -
क्योंकि इस जगह में Rh-37 कबरिस्तान लिखा पाया गया है यह उस समय के भाषा में Rh-37 कबरिस्तान लिखा गया था , जिसे ट्रांसलेट किया गया जिसे RH-37 कबरिस्तान प्राप्त होता है, इसीलिए Rh-37 कब्रिस्तान कहा गया ।
7.हाथी की खोपड़ी और स्वास्तिक चिन्ह - हड़प्पा सभ्यता में हाथी का खोपड़ी पाया गया है हिंदू धर्म के अनुसार हाथी एक धार्मिक जीव है , जिसे शादी के समय वर वधू को आशीर्वाद के लिए हाथी को बुलाया जाता है शायद इसीलिए ही हड़प्पा सभ्यता में स्वास्तिक चिन्ह भी प्राप्त किया गया है।