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UPSC Geography खगोल विज्ञान की Notes ( astronomy notes in Hindi )

खगोलीय विज्ञान , ब्रह्मांड, तारे ,तारे का गठन , लाल दानव , श्वेत वामन ,कला वामन , अभिनव तारा , न्यूट्रॉन तारा , black hole आदि की संपूर्ण जानकारी
भूगोल यूपीएससी नोट्स


 UPSC Geography Toppers E Notebook हिंदी में 

जब हम upsc Geography (Prelims+Mains) का अध्ययन करते हैं तो इसे चार भागों में बांटकर दिन कहते हैं जिसमें क्रम इस प्रकार है- 

(1.) Astronomy 

(2.) Geology

(3.) Topology 

(4.) Indian and World geography

(1.) खगोल विज्ञान (Astronomy)

वह विज्ञान जिसमें अंतरिक्ष की सारी चीजें जैसे कि तारे ग्रह उपग्रह नक्षत्र , खगोलीय पिंड आदि विषय से संबंधित अध्ययन किया जाता है उसे खगोल विज्ञान (astronomy ) कहां जाता है।
Note:- खगोल विज्ञान को रसिया में कॉस्मोलॉजी कहते हैं।

(i) ब्रह्मांड- 

दिखाई देने वाली समस्त आकाशीय पिंड ब्रह्मांड जिसमें ग्रह उपग्रह खगोलीय पिंड पेड़ पौधे पृथ्वी सब आते हैं। ब्रह्मांड लगातार विस्तार हो रहा है और इसमें लाखों-करोड़ों संख्या में तारे हैं।

(ii) तारे (Stars ) - 

वह आकाशीय पिंड जिसके पास स्वयं की ऊष्मा तथा स्वयं के प्रकाश होती है उसे तारे कहते हैं सूर्य भी एक प्रकार का तारा है जिसके पास स्वयं की ऊष्मा तथा स्वयं की प्रकाश है।

( Note- पृथ्वी से सबसे नजदीक का तारा कौन सा है आपका सही उत्तर हो जाएगा यहां पर सूर्य क्योंकि सूर्य ही पृथ्वी से सबसे नजदीक का तारा है।)

 तारों का गठन ( formations of stars)

-तारे बनने से पहले यह विरल गैस के रूप में रहते हैं यह विरल गैस पास में आकर केंद्रित होकर एक बादल के रूप में छाने लगते हैं और बादल का रूप ले ले लगते हैं इसे निहारिका (nebula ) कहते हैंl जब विरल गैस पास में आएगी तो उनमें क्रिया होगी और कौन सी क्रिया होगी उनमें नाभिकीय संलयन की क्रिया होगी जब नाभिकीय संलयन की क्रिया होगी तो दहन के पश्चात यह (starts) तारे के रूप में आ जाएगी  ।

- तारों में हाइड्रोजन का संलयन हीलियम के रूप में होता है।

-तारे का इंधन प्लाज्मा रूप में होता है। तारे का इंधन हाइड्रोजन और हीलियम होता है।

-तारों का रंग उसके पृष्ठ तनाव पर निर्भर करता है ।

यदि तारा हो

लाल रंग का -  निम्न ताप पर (6000 °c)

सफेद रंग का - मध्यम ताप पर

नीले रंग का - उच्च ताप पर 

-तारों का भविष्य उसके प्रारंभिक द्रव्यमान पर निर्भर करता है।

लाल दानव (Red giant ) - 

जब तारे का इंधन समाप्त होते हैं तो उसमें जो नाभिकीय संलयन की क्रिया होती है उसके कारण उसका आकार जो है बड़ा होने लगता है तो इसे कहते हैं लाल दानव ( Red Gaint ) ।

स्थिति -।  ( Case -।) :-

यदि लाल दानव का द्रव्यमान सूर्य का द्रव्यमान 1.44 गुना छोटा है तो वहां श्वेत वामन बनता है।

श्वेत वामन (  White Dwarf )

इसे जीवाश्म तारा भी कहा जाता है क्योंकि इसमें इंजन खत्म खत्म होने की अवस्था में रहता है और यह जो तारा होता है वह छोटा तारा होता है इसीलिए यह थोड़ा सा चमकता रहता है और इसे श्वेत वामन कहा जाता है।

काला बामन ( Black Dwarf )

जब श्वेत वामन का इंधन समाप्त हो जाता है तो वह चमकना समाप्त कर देते हैं पर इस तरह तारों का अंत हो जाते हैं इसी अवस्था को कहते हैं काला बामन (Black Dwarf) ।


स्थिति -।। ( Case -।। ) :-

यदि लाल दानव का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 1.44 गुना बड़ा हो तो वह अभिनव तारा ( super nova )का रूप ले लेता है । 

अभिनव तारा ( Supernova)

अभिनव तारों को विस्फोटक तारा भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कार्बन जैसे हल्के पदार्थ लोहे जैसे भारी पदार्थ के रूप में लगातार परिवर्तित होते रहते हैं जिसके कारण यह विस्फोट करते हैं जब अभिनेता रा विस्फोटक होते हैं तो इनके गुणों के आधार पर इन्हें अलग-अलग नाम दिया गया है जो कुछ इस प्रकार है-

न्यूट्रॉन तारा  ( Neutron star )

न्यूट्रॉन तारा अभिनव तारा के विस्फोट होने के बाद बनता है इसमें घनत्व अधिक होती है और यह तारा का आकार छोटा होता है।

पल्सर ( Plusar )

यह चमकता है और बुझता है साथ ही इसमें उच्च संख्या में विद्युत चुंबकीय तरंगे होती है । 

Quasar (क्वेशर ) 

यह भी अभिनव तारा के विस्फोटक के पश्चात बनता है और इसमें चुंबकीय की उच्च शक्ति पाई जाती है।

 कृष्ण विवर ( Black hole )

इसका खोज एस एस चंद्रशेखर ने किया था । कभी-कभी जब अभिनव तारा का विस्फोटक होते हैं तो कुछ जो तारे होते हैं वह ब्लैक होल का रूप ले लेते हैं यह ब्लैक होल का घनत्व बहुत ही ज्यादा होते हैं

* ब्लैक होल की चुंबकीय शक्ति बहुत ही ज्यादा उच्च होती है क्योंकि ब्लैक होल श्वेत वामन और काला बामन को अपनी ओर खींचने की शक्ति रखता है सभी तारों का अंत ब्लैक होल के रूप में होता है लेकिन यह प्रक्रिया कई करो सालों के बाद होती है ।

* ब्लैक होल के एक चम्मच का भार 100 हाथियों के भार भार के बराबर माना गया है। वैज्ञानिकों के रिसर्च के अनुसार।

चंद्रशेखर सीमा 

सूर्य के द्रव्यमान के 1.5  (1. 4 4) गुणा द्रव्यमान को चंद्रशेखर सीमा कहां जाता है । लाल दाना तारा के बाद चंद्रशेखर सीमा ही तारे का भविष्य तय करती है।

चंद्रशेखर सीमा की जरूरत क्यों पड़ी?

वैज्ञानिक यह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि जब कोई तारा जो लाल दाना है वह श्वेत वामन या फिर अभिनव तारा मैं परिवर्तित होता है जैसे कि यदि कोई तारा छोटा हो तो वह श्वेत वामन बनता है और यदि कोई तारा बड़ा हो तो वह सुपरनोवा अभिनव तारा बनता है लेकिन वैज्ञानिक यह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि बड़ा में से कितना बड़ा और छोटा में से कितना छोटा जिसे चंद्रशेखर सीमा द्वारा इस समस्या को सुलझा गया।


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