पर्यावरण क्या है?
किसी स्थान विशेष में मनुष्य तथा जीवित जीव के चारों ओर घिरे भौतिक आवरण को पर्यावरण कहलाता है ।
सी .पी. पार्क के अनुसार - पर्यावरण का अर्थ उन दशाओं के योग से होता है जो मनुष्य को निश्चित समय में निश्चित स्थान पर आवृत्ति करती है !
हमारे आस - पास चारो ओर के वातावरण को जिससे हम घिर है पर्यावरण कहलाता है | ऐसा हम बोल चाल की भाषा में बोल सकते है समझ ने के लिए बोल सकते है ।
पर्यावरण की परिभाषाएं -
(1)रॉस ने लिखा है - पर्यावरण एक बाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है। (Environment is an external force
which influences us.- Ross)
(2.)हार्कोविडज के अनुसार, किसी जीवित तत्व के विकास के चक्र को प्रभावित करने वाले समस्त बाह्य दशाओं को पर्यावरण कहा जाता है।
(Envrionment is the sum total of all the
external conditions and its influences on the external
conditons and its influences ont he development cycle
of biotic elements-Herkovitz)
(3). डेविस ने पर्यावरण को मूर्त वस्तु ना मानकर अमृत वस्तु माना है। (Environment does not refer to anything tangible
but to an abstraction.-Devis)) ko
पर्यावरण का अध्ययन जरूरी क्यों है?
मानव और पर्यावरण एक दूसरे पर आश्रित हैं । क्योंकि पर्यावरण से मनुष्य के साथ-साथ और भी जितने भी जीव है चाहे वह सूक्ष्म जीवों या चाहे कोई भी हो उनको पर्यावरण से ही भोजन ,पानी, जीवित रहने के लिए सांस Co2 (प्राण वायु) पर्यावरण से ही मिलती है । अब बात करें माना कि तो तो पर्यावरण हमारे से कैसे आश्रित हैं तो ऐसे आश्रित है क्योंकि हम छोड़ते हैं CO2 जो पेड़ पौधे हमसे लेते हैं तो उसी तरह पर्यावरण भी एक तरीके से हम से आश्रित हैं तो यह चीजें हमें कैसे पता चली जब हम पर्यावरण अध्ययन करेंगे तो हमें पता चला।
पर्यावरण के अध्ययन का उद्देश्य
पर्यावरण का अध्ययन का उद्देश्य अगर सामान्य तौर पर बताया जाए तो परिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाना और मानव जो विकास है उसको साथ में एक साथ विकास में लाना है तो इस आधार पर पर्यावरण अध्ययन के निम्नलिखित उद्देश्य इस प्रकार है-
•पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना।
•पर्यावरण के संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार के उपायों का जानकारी देना।
• पर्यावरण की क्रियाओं के प्रभाओ का जानकारी देना ।
• पर्यावरण असंतुलन एवं उनके प्रभाव का जानकारी देना।
•पारिस्थितिक प्रणालियों का सही ज्ञान करना।
•पारिस्थितिक परिणाम लियों की समस्याओं का जानकारी देना।
• पर्यावरण संबंधित विभिन्न प्रकार की विभिन्न पक्षी की जानकारी।
पर्यावरण का अध्ययन क्षेत्र
पर्यावरण अपने अन्दर चार बड़े खंड आते है जो इस प्रकार है -
1. जलमण्डल
2. वायुमण्डल
3. स्थलमण्डल
4. जैवमण्डल
जलमण्डल
•जलमण्डल के सभी प्रकार के जल संसाधनों को शामिल
करते है जैसे सागर ,महासागर , नदियाँ , झीलें, जलाशय ,
धरातलीय जल,ध्रुवीय बर्फ एवम हिमानी ।
• पृथ्वी में 97% पानी महासागरों में पाया जाता है ।
• ध्रुविया क्षेत्र और हिमनदी में पानी 2% है |
• बाकी बचा 1% पानी धरातलीय पानी , नदियों और झीलों
मानव के उपयोग के लिए होता है।
वायुमण्डल
वायुमंडल क्या हैं -
•वायुमण्डल अपनी गैसों द्वारा पृथ्वी के चारों ओर एक रक्षामात्मक ब्लैंकेट की तरह कार्य करता है । जिससे पृथ्वी पर जीवन बना रहता है।
•यह बाह्य अंतरिक्ष की अधिकतर ब्रह्मांडीय किरणों को तथा सूर्य
को विद्युत चुम्बकीय किरणों को अवशोषित कर उनके दुष्प्रभाव को नगण्य करता है।
यहां पर वायुमंडल के ऊपर के परत के अध्ययन वायुर्विज्ञान (Aerology) कहा जाता है और भाई मंडल के नीचे की परत को अध्ययन करना रितु विज्ञान (metarology)कहा जाता है ।
आयतन अनुसार वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैस पाए जाते हैं-
नाइट्रोजन N2(78 .07%) , ऑक्सीजन O2 (20.93%)
कार्बन डाइऑक्साइड Co2 (.03%) और ऑर्गन (.93%)
हैं -
नाइट्रोजन
• यहां पर केवल अल्ट्रावायलेट , दृश्य ,लगभग हर प्रकार से रोकता है वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस न होते तो आग पर नियंत्रण पाना मुस्कील हो जाता ।
• नाइट्रोजन से पेड़ पौधे में प्रोटिन का निर्माण होता है,
जो भोजन का मुख्य अंग है।
• नाइट्रोजन वायुमंडल 128 KM की ऊंचाई तक पाई जाती है।
ऑक्सीजन
ऑक्सीजन के अभाव के कारण हम ईंधन नहीं जला सकते है, ऑक्सीजन अन्य पदार्थों के साथ मिलकर जलने का कार्य करती है।अतः यह ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है । जो oxigen है वह वायुमंडल में 64 km की ऊंचाई तक फैला हुआ है, परंतु 16km के ऊंचाई के बाद इसकी मात्रा बहुत कम हो जाती है।
कार्बन डाइऑक्साइड ( Carbon Dioxide)
कार्बन डाइऑक्साइड (Co 2) गैस सबसे भारी गैस होती है इसीलिए यह सबसे निचली सतह पर पाई जाती है लेकिन फिर भी इसका विस्तार 24 किलोमीटर की ऊंचाई तक होता है । यह ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदाई होते हैं क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड सूर्य से आने वाली विकिरण के लिए पारगम्य तथा पृथ्वी से आने वाली विकिरण के लिए अपारगम्य होता है। पर वायुमंडल की निचली सतह को गर्म करता है।
ओजोन(Ozone )-
ओजोन ऑक्सीजन का एक रुप होती है जो मनुष्य के लिए वरदान साबित होती है यह वायुमंडल की बहुत ऊंचाई में थोड़ी सी मात्रा में पाई जाती है , यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण ( अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन ) को रोक कर अवशोषित कर लेती है ।
यह 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित होती है।
वायुमंडल में यदि किसी वजह से ओजोन गैस की कमी होने से सूर्य की पराबैंगनी किरणों की वजह से पृथ्वी पर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी फैल सकती है।
वायुमंडल की संरचना-

वायुमंडल को पांच पर्तो में बांटा गया है-
(1) क्षोभमंडल ( troposphere)
(2)ओजोन मंडल( ozonesphare)
(3)समताप मंडल (stratosphere)
(3.5) मध्यम मंडल ( mesophare )
(4) आयन मंडल ( Ionosphere)
(5) बही मंडल (Ecosphare)
(1) क्षोभमंडल ( troposphere)-
क्षोभमण्डल या ट्रोपोस्फ़ीयर (troposphere) पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे निचला हिस्सा है। इसी परत में आर्द्रता, जलकण, धूलकण, वायुधुन्ध तथा सभी मौसमी घटनाएं होती हैं। यह पृथ्वी की वायु का सबसे घना भाग है और पूरे वायुमंडल के द्रव्यमान का 70% हिस्सा इसमें मौजूद है।
छोभमंडल ( क्षोभमंडल ) को इंग्लिश में Tropo-Sphere ( ट्रोपोस्फीयर ) कहते हैं ।
छोभ मंडल ( क्षोभमंडल ) हमारे वायुमंडल की सबसे निचली परत होती है।
छोभ मंडल ( क्षोभमंडल ) की ऊंचाई ध्रुवों पर 8 किलोमीटर तथा विषुवत रेखा पर लगभग 18 किलोमीटर होती है।
छोभ मंडल ( क्षोभमंडल ) में 165 मीटर की ऊंचाई बढ़ने पर तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की कमी आती है तथा 1 Km ऊंचाई बढ़ने पर 6.4°C की कमी होती है ।
सभी मुख्य वायुमंडलीय घटनाएं जैसे बादल बनना, आंधी आना एवं वर्षा होना इसी मंडल में होती है।
छोभ मंडल ( क्षोभमंडल ) को ही संवहन मंडल भी कहते हैं, क्योंकि संवहन धाराएं केवल इसी मंडल की सीमाओं तक सीमित होती है ।
छोभ मंडल ( क्षोभमंडल ) को अधो-मंडल भी कहते हैं ।
(2,) Ozon Layer
ओजोन गैस (O3), ऑक्सीजन (O2) का ऑक्सीकृत रूप है, जिसके एक अणु में ऑक्सीजन के तीन परमाणु (Atoms) होते हैं। यह नीले रंग की तीक्ष्ण गंध वाली गैस है। यह पृथ्वी से लगभग 25 से 40 किलोमीटर की ऊँचाई पर ओजोन की एक लगभग 3 मिलीमीटर मोटी परत होती है, जिसे ओजोन मण्डल (Ozone Mandal) या ओजोन परत ( Ozone Layer ) के नाम से जाना जाता है। ओजोन मण्डल पृथ्वी का रक्षा कवच है
ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 90-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है। इसके ऊपर के स्तर में। समताप मण्डल पाया जाता है।
(3) समताप मंडल (stratosphere)
क्षोभमंडल के उपरी भाग को समताप मंडल कहलाता है। समताप मण्डल की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें ओज़ोन गैस की परत होती है। यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक गैसों से हमारी रक्षा करती है ।
समताप मंडल (Stratosphere) पृथ्वी की सतह से आकाश की ओर जाने वाला दूसरा मंडल समतापमंडल है, इसका विस्तार 18 से 32 किलोमीटर लगभग की ऊंचाई तक होता है।
समताप मंडल (Stratosphere) की मोटाई धुर्वों पर अधिक होती है, जबकि कभी-कभी विषुवत रेखा पर इसका लोप हो जाता है।
समताप मण्डल ओजोन मण्डल समतापमंडल 38 से 50 किलोमीटर तक विस्तृत है। (समतापमंडल में लगभग 60 से 80 किलोमीटर तक ओजोन गैस पाया जाता है , जिसे ओजोन परत कहा जाता है ) इस मण्डल में तापमान स्थिर रहता है तथा इसके बाद ऊंचाई के साथ बढ़ता जाता है।
इस मंडल में तापमान में ऊर्ध्वाधर परिवर्तन मंद एवं अल्प होता है किन्तु क्षैतिज परिवर्तन उल्लेखनीय मात्रा में पाया जा सकता है। इसे समताप परत (isothermal layer) भी कहते हैं। समताप मंडल में तापमान – 600 सेल्सियस (नीचे) और -00 सेल्सियस (ऊपर) के बीच पाया जाता है।
(4)मध्यमण्डल
विशेषताएं
इसकी मोटाई भूमध्य रेखा पर कम तथा ध्रुवों पर अधिक होती हैं।
(5) Inosphare Or Thermosphare ( आयनमंडल या बाह्य वायुमंडल ।
बाह्य वायुमंडल ,मध्यमंडल के ऊपर स्थित होते है।
और, यह परत लगभग 640 किलोमिटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है।
तथा, इस परत में Temperature नाटकीय रूप से बढ़ जाता है,
जो, 1480 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
और, Temperature के वृद्धि में इस तथ्य का कारन यह है, कि
इस परत में गैस अणु सूर्य की X-ray और पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करते हैं।
इसीलिए इसके परिणामस्वरूप गैस के अणुओं का सकारात्मक,
तथा, नकारात्मक रूप से आवेशित कणों से संबंध टूट जाता है।
और, इस प्रकार, इस परत को आयनमंडल यानि ionosphere के रूप में भी जाना जाता है।
तथा, आयनमंडल के विद्युत आवेशित गैस अणु रेडियो तरंगों को दर्शाता है,
जिसके लिए यह पृथ्वी को वापस अंतरिक्ष में लाने में सक्षम होते हैं।
और, इस प्रकार, यह परत लंबी दूरी के संचार में भी मदद करती है।
आयनमंडल हमें उल्काओं और अप्रचलित उपग्रहों से भी बचाता है।
क्योंकि इसका उच्च तापमान पृथ्वी की ओर आने वाली लगभग सभी मलबे को जला देता है।
स्थलमण्डल
यह पृथ्वी के तीन मुख्य प्रतों में सबसे बाहरी परत है जिसमें
पृथ्वी के दूसरे भाग मेंटल के बाहरी भाग और पृथ्वी के ऊपरी
परत क्रस्ट को सम्मिलित करते है । यह खनिजों का स्त्रोत तथा
जीवों, प्राणियों , वायु और जल आदि इसी से संबंध रखते है ।
जैवमण्डल
•जीवमंडल: शब्द "जीवमंडल" 1875 में एडुआर्ड सूस नामक एक भूविज्ञानी द्वारा गढ़ा गया था। उन्होंने जीवमंडल को पृथ्वी पर उस स्थान के रूप में परिभाषित किया जहां जीवन रहता है।
•पृथ्वी के सभी भाग जहाँ जीवन मौजूद हैं, वह जैव मंडल कहलाता हैं. इसमें छोटे से छोटे बेक्टीरिया से लेकर विशालकाय जीव सम्मिलित हैं. इसके साथ साथ बड़े और तरह तरह वनस्पति जीव जन्तु और मनुष्य, इस जैव मंडल के अंग हैं
•जैवमण्डल पृथ्वी के चारों तरफ व्याप्त ३0 किमी मोटी वायु, जल, स्थल, मृदा, तथा शैल युक्त एक जीवनदायी परत होती है, जिसके अंतर्गत पादपों एवं जन्तुओं का जीवन सम्भव होता है। सामान्यतः जैवमण्डल में पृथ्वी के हर उस अंग का समावेश है जहाँ जीवन पनपता है।
•जीवमंडल पृथ्वी की वह परत है जहां जीवन मौजूद है। यह परत समुद्र तल से दस किलोमीटर तथा समुद्र से 9 किलोमीटर गहराई तक फैला है। जैवमंडल चार परतों में से एक है जो पृथ्वी को स्थलमंडल (चट्टान), जलमंडल (जल) और वायुमंडल (वायु) के साथ घेरती है और यह सभी पारिस्थितिक तंत्रों का योग है।