भू- वैज्ञानिक संरचना छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के भूवैज्ञानिक संरचना को 5 भागों में बांटा गया है इस प्रकार है-
1.आर्कियन शैल समूह
2.धारवाड़ शैल समूह
3.पुरानासंघ शैल समूह
4.गोंडवाना शैल समूह
5. दक्कन ट्रैप
1.आर्कियन शैल समूह
बात करें आर्कियन शैल समूह की तरह छत्तीसगढ़ में लगभग
सभी जगह में पाई जाती है ( लगभग 50% भाग)
निर्माण - इसका निर्माण आग्नेय चट्टान के नीचे पर से हुआ है।
अग्नि चट्टान का अर्थ - आग्नेय चट्टान का अर्थ होता है जब पृथ्वी के अंदर का लावा ऊपर आकर परत दर परत एक जगह जमा होगा तो वह ट्रैप कहलाएगा , उसी तरह यह लावा जब एक चट्टान का रूप लेगा जमकर तो उसे अग्नि चट्टान कहेंगे।
खनिज - बात करें आर्कियन शैल समूह में कौन कौन से खनिज पाए जाएंगे -
ग्रेनाइट , सिस्ट, निस, कांग्लो मेरिट आदि यह सभी चट्टाने है और यह खनिज के रूप में भी पाए जाते हैं।
खनिज - क्वार्ट्ज, केस्पर
( यहां पर शैल समूह बहुत सारे चट्टानों का समूह मिलकर शैल समूह का निर्माण करती है ।)
(2.) धारवाड़ शैल समूह
धारवाड़ शैल समूह जलीय अवसादी चट्टानों को कहा जाता है।
निर्माण -
इसका निर्माण अर्कीयन शैल समूह के अपरदन से होता है। अर्थात यहां पर अर्कीयन शैल समूह जब पानी के माध्यम से हवा के माध्यम से जैसे तूफान या किसी वजह से टूट- टूट जाकर किसी जगह वह जमा होंगे लगातार इसे यहां पर चट्टान का निर्माण करेंगे इसे धारवाड़ शैल समूह कहेंगे।
खनिज -
• शैल समूह का नाम कांकेर जिला के एक जगह धारवाड़ के नाम पर इसका नाम रखा गया है। इसमें सोने की प्रधानता है।
इसमें निस , क्वाट्ज, हेमेटेटिड ( लोहा ) , माइकासिस्ट, स्लेट की चट्टान । ( यह चिल्पी घाटी मोरी तहसील -कवर्धा आदि क्षेत्र में पाया जाता है)
खनिज -
सोना,चांदी ,लोहा , टीन, तांबा , निकल।
छत्तीसगढ़ में इसकी 3 सीरीज है-
1.चिल्पी घाटी सीरीज
2.सोनाखान सीरीज
3.दंडकारण्य प्रदेश लोहा परदक सीरीज
3. पुराना संघ शैल समूह
इसमें दो शैल समूह पाया जाता है जिसमें कडप्पा शैल समूह प्रमुख है , और इसी को पढ़ा जाता है -
1.कडप्पा शैल समूह
2. विंध्य शैल समूह
1.कडप्पा शैल समूह -
यह ग्रेनाइट के अपरदन से कडपा शैल समूह में नीचे निक्षेपित हुआ है । ( अर्थात ग्रेनाइट के यह चट्टान छोटे छोटे रूप में टूटे और परत दर परत एक जगह जमा हुए और इस तरह कडप्पा से समूह का निर्माण हुआ ) इसमें कटाधारी मिट्टी धान के लिए बहुत अच्छी मानी गई है।
क्षेत्र का फैलाव-
इस क्षेत्र का छत्तीसगढ़ के मैदान , दंडकारण्य में भोपालपटनम बीजापुर में स्थित तक फैला हुआ है।
खनिज - चूना ,बालू पत्थर ,प्लेट ( संगमरमर ),मैग्नीज
4.गोड़वाना शैल समूह-
निर्माण-
इसका निर्माण नदियों के अवसादो के रूप में होता है , नदियों के अवसादो का अर्थ नदी जो बहती हुई आती है और अपने साथ खनिज पदार्थों को लाती है और एक लेयर के फॉर्म में जमा होती जाती है । इसीलिए इस शैल समूह मैं फॉसिल फ्यूल Fossil fuel वाला शैल समूह कहा जाता है।
पर यह लगातार लेयर जमा होती रहती है और बहुत समय बाद जाकर शैल समूह का निर्माण करती है।
गोंडवाना शैल समूह को 3 भाग में बांटा गया है -
(1) ऊपर ( upper ) गोंडवाना शैल समूह
(2) मध्य ( middle ) गोंडवाना शैल समूह
(3) नीचे (Lower ) गोंडवाना शैल समूह
(1) ऊपर ( upper ) गोंडवाना शैल समूह
यह बघेलखंड वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं इसमें मुख्य रूप से कांग्लो, क्वार्ट्जटाईज , बालू पत्थर , कोयला मुख्य सेल समूह यही इंपोर्टेंट है जिसके लिए गोड़वाना शैल समूह जाने जाते हैं।
(2) मध्य ( middle ) गोंडवाना शैल समूह
मध्य गोंडवाना शैल समूह का विस्तार महानदी घाटी में फैला हुआ है और इस घाटी में इसे परसोरा या टिक्की कहा जाता है।
और यह महानदी में तो पाई जाएगी साथ में यहां रायगढ़ कोरबा में कुछ नहीं पाए जाते हैं।
(3) नीचे (Lower ) गोंडवाना शैल समूह
लोअर गोंडवाना शैल समूह मुख्य रूप से रायगढ़ और कोरबा क्षेत्र में पाई जाती है इसका विस्तार वहां फैला हुआ है।
(5.) दक्कन ट्रैप -
निर्माण -
इसका निर्माण लावा युक्त बेसाल्ट मिट्टी श्रृंखला का परत कालांतर में परत दर परत जमने के कारण होता है। और इस मिट्टी का मुख्य आधार मिट्टी "काली मिट्टी " होती है। और इसमें बॉक्साइट पाई जाएगी ।
स्थानीय नाम - लमेटा
खनिज - बॉक्साइट
विस्तार -
इस शैल समूह का विस्तार पाट प्रदेशों में जैसे कि जसपुर सांवरी पाट प्रदेश, साथ में मैंकल के पूर्व भाग में ( पेंड्रा - पंडरी कोरबा ) वाले क्षेत्र में।