छत्तीसगढ़ में मृदा का वितरण
1. काली मिट्टी-
अन्य नाम -
कन्हर, भर्री, रेगूर
निर्माण -
इसका निर्माण बेसन के क्षरण से होता है।
PH -
7.5 %
काला रंग का कारण -
इसका काला रंग फेरिक टाइटेनियम के कारण होता है।
विस्तार -
इस मिट्टी का विस्तार मुख्य रूप से राजनांदगांव मुंगेली कवर्धा है।
अन्य -
- इसके साथ यह रायपुर ,राजिम ,कुरूद ,मुंगेली ,गरियाबंद , दुर्ग आदि पाट प्रदेश में पाए जाते हैं।
फसल -
इसमें गेहूं , कपास , चना , गन्ना , तिलहन आदि फसल होते हैं।
• इस मिट्टी में मुख्य रूप से लोहा ,चुना ,मैग्नीशियम , एलुमिनियम की प्रधानता होती है।
2. लाल पीली मिट्टी -
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली मिट्टी है छत्तीसगढ़ में 55% पाए जाते हैं।
अन्य नाम -
मटासी मिट्टी
pH -
5.8 - 8.4 pH तक हो सकता है इसीलिए यह छारीय प्रकृति और अम्लीय दोनों हो सकता है।
निर्माण -
लाल पीली मिट्टी का निर्माण अपरदित गोंडवाना शैल समूह एवं कडप्पा शैल समूह से मिलकर होता है।
रंग -
पीला रंग फेरिक ऑक्साइड , लाल रंग फेरस ऑक्साइड के कारण होता है।
फसल -
चूने की पर्याप्त मात्रा के कारण मुख्य फसल धान होती है।
Note - काली मिट्टी और लाल पीली मिट्टी को मिलाकर एक साथ डोरसा मिट्टी कहां जाता है।
3. लाल दोमत मिट्टी -
निर्माण -
इस मिट्टी का निर्माण नीस , डायोटाइट चट्टान के द्वारा होता है।
विस्तार -
इस मिट्टी का विस्तार दंतेवाड़ा ,कोंटा तहसील मैं है ।और इसमें क्ले ( clay ) की मात्रा अधिक होती है।
प्रकृति -
अम्लीय प्रकृति की होती है
4. लाल - बलुआ मिट्टी
यह छत्तीसगढ़ के टिकरा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं और कुल 20 से 30% भाग में यह पाया जाता है।
निर्माण -
इस मिट्टी का निर्माण आर्कियन एवं धारवाड़ शैल समूह से हुआ है। और इसमें बालू एवं कंकण अधिक पाई जाती है।
प्रकृति -
इस मिट्टी की प्रकृति अम्लीय प्रकृति की है।
विस्तार -
इस मिट्टी का विस्तार दंडकारण्य प्रदेश में फैला हुआ है।
फसल -
इस मिट्टी में मोटा अनाज होता है इसीलिए इसमें कोदो , कुटकी , ज्वार , मक्का जैसी फसल होते हैं।
खनिज -
लोहा, क्वार्जटाइट के अंश, एल्युमीनियम
5. लेटराइट मिट्टी -
इस मिट्टी को मोरम या भाटा के नाम से भी जाना जाता है ।
pH -
7 या उससे अधिक भी हो सकती है। यह ईट और भवन निर्माण के लिए बहुत ही उपयोगी होती है।
भू- संरचना के आधार पर पाए जाने वाले मिट्टी का क्रम-
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चित्र - मिट्टी का क्रम भू -संरचना के आधार पर ( छ. ग.) |