1. छत्तीसगढ़ में लागू होगा ‘बाघ मित्र मॉडल’
छत्तीसगढ़ सरकार ने बाघों और अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ‘बाघ मित्र योजना’ को लागू करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत प्रशिक्षित स्वयंसेवकों और अधिकारियों की मदद से बाघों के संरक्षण और मानव-बाघ संघर्ष को कम करने पर ज़ोर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर गांवों में जागरूकता फैलाने और रिपोर्टिंग व्यवस्था को सशक्त किया जाएगा।
2. बाघों और हाथियों की मृत्यु पर हाईकोर्ट में सुनवाई
राज्य में बाघों और हाथियों की हो रही असामयिक मृत्यु पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा, जिसके तहत वन विभाग ने हलफनामा पेश किया और आगे की कार्रवाई की जानकारी दी। कोर्ट में बताया गया कि 17 मार्च को हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस दिशा में कई निर्णय लिए गए हैं।
3. कोरबा में बाघ की संदिग्ध मौत – गंभीर चिंता का विषय
8 नवंबर 2024 को कोरबा जिले के गुरु घासीदास नेशनल पार्क रिज़र्व क्षेत्र में एक बाघ का शव सड़ी-गली हालत में पाया गया। यह इलाका छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश सीमा के पास है और बाघों के मूवमेंट का अहम हिस्सा है। घटना ने वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए और मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर चिंता बढ़ा दी।
4. मानव-बाघ संघर्ष से निपटने की रणनीति
सरकार की नई रणनीति का उद्देश्य है कि बाघों के निवास क्षेत्रों से सटे गांवों में लोगों को जागरूक किया जाए और ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे मानव और बाघों के बीच टकराव की स्थिति से बचा जा सके। इसके लिए बाघ मित्र योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती, GPS ट्रैकिंग, और तत्काल रेस्क्यू टीमें भी सक्रिय रहेंगी।
5. कोर्ट की सक्रियता और शासन की जवाबदेही
कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई की तारीख 14 जुलाई 2025 तय की है। साथ ही शासन से यह अपेक्षा की है कि वे स्पष्ट रणनीति प्रस्तुत करें जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें। वन विभाग और संबंधित अधिकारियों को अदालत ने निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से जवाबदेही तय करें।
6. "बाघ और जंगल नहीं बचेंगे तो कैसे चलेगा?" – संरक्षण का मूल प्रश्न
लेख में उठाया गया यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है। जंगल और वन्य जीवों का संरक्षण न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक है, बल्कि यह इंसानों के अस्तित्व से भी जुड़ा है। यदि पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता है, तो इसका सीधा प्रभाव जलवायु, कृषि और स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा।