1. राजनांदगांव, खैरागढ़ और कवर्धा नक्सलवाद से मुक्त – एक ऐतिहासिक उपलब्धि
छत्तीसगढ़ के तीन ज़िले – राजनांदगांव, खैरागढ़ और कवर्धा – जो वर्षों से नक्सली हिंसा और आतंक के साए में थे, अब आधिकारिक रूप से नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिए गए हैं। यह राज्य सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों की संयुक्त रणनीति और स्थानीय लोगों के सहयोग का परिणाम है। इन जिलों में पिछले कुछ वर्षों में नक्सली गतिविधियों में भारी कमी देखी गई है, जिससे यह संभव हुआ। इससे इन क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
2. सुरक्षा बलों की तैनाती और चरणबद्ध वापसी
लंबे समय तक नक्सलियों के ख़िलाफ़ मोर्चा संभालने वाले सुरक्षा बलों की अब इन क्षेत्रों से वापसी शुरू हो चुकी है। ITBP (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) और CRPF (केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल) की बटालियनों की तैनाती धीरे-धीरे कम की जा रही है। हालांकि, पूरी तरह वापसी से पहले इन इलाकों में स्थायी पुलिस व्यवस्था और गुप्तचर नेटवर्क को मज़बूत किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नक्सली दोबारा इन क्षेत्रों में अपनी जड़ें न जमा सकें।
3. विकास की बहार: अब बुनियादी सुविधाओं का विस्तार
नक्सलवाद से मुक्ति के बाद अब इन जिलों में विकास की रफ्तार तेज़ हो गई है। सरकार द्वारा सड़क निर्माण, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, स्कूलों का उन्नयन, और पीने के पानी की व्यवस्था जैसी योजनाएँ तेज़ी से लागू की जा रही हैं। पहले जहाँ नक्सली विकास परियोजनाओं में बाधा डालते थे, अब वहां स्थानीय लोग खुद विकास में भागीदार बन रहे हैं। हरिहरि विकास योजना जैसी परियोजनाएं ग्रामीण विकास को गति दे रही हैं।
4. सरकार का स्पष्ट रुख – बिना हथियार डाले कोई बातचीत नहीं
गृह मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार केवल उन्हीं नक्सलियों से बात करेगी जो बिना शर्त आत्मसमर्पण कर संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास जताएंगे। नक्सलवाद की विचारधारा से समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार की इस नीति का उद्देश्य है कि हिंसा का मार्ग अपनाने वालों को प्रोत्साहन न मिले और शांति प्रक्रिया पारदर्शी रहे।
5. केंद्र सरकार से मिलने वाला विशेष फंड अब बंद
नक्सल प्रभावित जिलों को केंद्र सरकार की ओर से विशेष आर्थिक सहायता मिलती थी, जिससे इन इलाकों में बुनियादी ढाँचे और सामाजिक कल्याण योजनाओं को गति मिलती थी। अब जब ये जिले इस सूची से बाहर हो गए हैं, तो उन्हें वह विशेष फंड नहीं मिलेगा। इसका असर यह होगा कि अब राज्य सरकार को अपने बजट और योजनाओं से विकास कार्यों को आगे बढ़ाना होगा। हालांकि, यह एक सकारात्मक संकेत भी है कि अब ये जिले सामान्य स्थिति में आ चुके हैं।
6. 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सल मुक्त करने का लक्ष्यकेंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार का संयुक्त लक्ष्य है कि 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सल मुक्त कर दिया जाए। वर्तमान में बस्तर संभाग के कुछ जिलों जैसे दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा में अब भी नक्सली गतिविधियाँ सक्रिय हैं। वहाँ पर सुरक्षा बलों का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। अब ड्रोन सर्विलांस और सटीक खुफिया जानकारी के साथ यह मिशन तेज़ी
से आगे बढ़ रहा है।